गुजरात में 68 न्यायिक अधिकारियों के प्रमोशन को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती। सूची में शामिल है राहुल गाँधी को सजा सुनाने वाले जज का भी नाम।
सुप्रीम कोर्ट में गुजरात के 68 न्यायिक अधिकारियों के प्रमोशन को चुनौती देने वाली एक याचिका दायर की गई है। 68 अधिकारियों की सूची में राहुल गाँधी को मोदी सरनेम मामले में सजा सुनाने वाले जज हरीश हसमुखभाई वर्मा भी शामिल हैं। इसी मामले में राहुल गाँधी को अपनी संसद सदस्यता भी खोनी पड़ी थी। इस मामले की सुनवाई 8 मई को जस्टिस एमआर शाह की बेंच करेगी। गुजरात के 68 अधिकारियों को 65% कोटा के माध्यम से प्रमोशन दिया गया है। इस प्रमोशन की प्रक्रिया को दो सीनियर न्यायिक अधिकारी के. रविकुमार मेहता और सचिन प्रतापराय मेहता ने चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दायर की गई है , उसमें गुजरात हाईकोर्ट द्वारा जारी प्रमोशन की लिस्ट को और राज्य सरकार द्वारा नियुक्ति की अधिसूचना रद्द करने की माँग की गई है। इसके अलावा उसमें यह भी माँग की गई है कि गुजरात हाईकोर्ट द्वारा प्रमोशन की नई सूची , वरिष्ठता और योग्यता के आधार पर तैयार की जाए। 68 अधिकारियों की सूची में सूरत सत्र न्यायालय के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट हरीश हसमुखभाई वर्मा का भी नाम शामिल है। यह वही न्यायाधीश हैं जिन्होंने राहुल गाँधी को मोदी सरनेम टिप्पणी मामले में सजा सुनाई थी जिससे कि उनकी सांसदी ही चली गई थी। जानकारी के मुताबिक 43 वर्ष के न्यायाधीश हरीश हसमुखभाई वर्मा के पास करीब 10 वर्ष का न्यायिक अनुभव है। वह बड़ोदरा के रहने वाले हैं तथा उन्होंने महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई की है। 2008 में वे लॉ करने के बाद न्यायिक सेवा की परीक्षा देकर मजिस्ट्रेट बन गए। गुजरात हाईकोर्ट के आदेश पर जस्टिस वर्मा ने सूरत सत्र न्यायालय के सीजेएम के रूप में राहुल गाँधी के मामले की सुनवाई कर फैसला सुनाया था।
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