अब होगी वेद, पुराण, गीता, रामायण, और शास्त्र जैसी पवित्र पुस्तकों की पढ़ाई ,,,,,,,,,उत्तराखंड देश का पहला राज्य जहा स्कूलों में पढ़ेंगे छात्र……धार्मिक पुस्तकें …………
जी हा आपको बता दे की ,,,,,,,उत्तराखंड भारत का पहला राज्य है जहा अब पवित्र ग्रन्थ और पवित्र पुस्तकों की पढ़ाई कराई जाएगी ……………………जी हा आपको बता दे की,,,,उत्तराखंड भारत का एक राज्य है जो उत्तरी भारत में स्थित है। इस राज्य में हाल ही में एक विवादित फैसला लिया गया है जिसके अनुसार स्कूलों में वेद, पुराण, गीता, रामायण, भागवत और शास्त्रों का अध्ययन स्कूलों में कराया जायेगा यह फैसला उत्तराखंड शिक्षा विभाग द्वारा लिया गया है।……………….आपको बता दे की ,,,,,,इस फैसले से आम लोगो में खलबली मची हुई है ,,,,और ,,यह निर्णय लोगों में विवादों को उत्पन्न कर रहा है। कुछ लोगों का मानना है कि यह फैसला देश की संस्कृति और धर्म के प्रति समर्पित है, जबकि कुछ लोगों का मानना है कि यह फैसला शिक्षा संस्थानों के अध्ययन के स्तर पर असर डालेगा …………………………।इस निर्णय के पीछे की वजह देश में संस्कृति और धर्म के महत्व को बढ़ावा देने का विचार है। इसके साथ ही, उत्तराखंड को देश के सबसे पहले राज्य के रूप में भी जाना जाता है जो स्कूलों में यह प्रचलन पूरी तरह से लागू करेगा।………….और आपको बता दे की ,,,,इस निर्णय के लिए उत्तराखंड सरकार ने कुछ महत्वपूर्ण कारण दिए हैं। उनमें से सबसे महत्वपूर्ण कारण है संस्कृति और धर्म के प्रति समर्पण और उनके महत्व को समझने की जरूरत है ………….। उत्तराखंड खुद भी संस्कृति और धर्म का बहुत गहन केंद्र है और इसे बढ़ावा देना देश के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।……………………और दूसरा कारण है उत्तराखंड को एक शिक्षा केंद्र के रूप में विकसित करना है जहा पवित्र ग्रंथो की शिक्षा दी जायेगी……। उत्तराखंड में शिक्षा का स्तर बहुत अच्छा है और इस निर्णय से उत्तराखंड की शिक्षा नीति को और बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।………..इस निर्णय के बाद, अब उत्तराखंड के स्कूलों में वेद, पुराण, गीता, रामायण, भागवत और शास्त्र पढ़ाए जाएंगे इस निर्णय के अनुसार, स्कूलों में विद्यार्थियों को धार्मिक और अध्यात्मिक ज्ञान के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और इतिहास के बारे में भी शिक्षा दी जाएगी।…और साथ ही आपको बता दे की ,,,इस निर्णय के बाद स्कूलों में कुछ नए विषय भी शामिल होंगे। जैसे उनमें संस्कृत भाषा और संस्कृति, वैदिक गणित, ज्योतिष और वास्तुशास्त्र शामिल होंगे । इसके अलावा, धर्म एवं दर्शन के विषयों के अध्ययन के लिए विशेष प्रशिक्षण प्रदान करने की योजना भी है।………….और सभी सरकारी स्कूलों में अब इन विषयों का अध्ययन अनिवार्य होगा। इसके साथ ही, निजी स्कूलों के लिए भी यह विकल्प उपलब्ध होगा कि वे इन विषयों का अध्ययन करा सकें। इस निर्णय के तहत, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि धार्मिक और अध्यात्मिक शिक्षा एक संपूर्ण शैक्षणिक अनुभव का हिस्सा है …..और उत्तराखंड सरकार ने कहा कि अध्यात्मिक शिक्षा को सभी स्तरों पर महत्व दिया जाना चाहिए।आपको बता दे की ,,,,इस निर्णय से सभी छात्रों को अपनी संस्कृति और धर्म के विषय में ज्ञान प्राप्त करने का मौका मिलेगा। इससे न केवल छात्रों की विद्या बढ़ेगी, बल्कि यह उन्हें अपनी संस्कृति और अध्यात्म के प्रति उत्साह और आदर बढ़ेगा।इस निर्णय के साथ ही, संबंधित स्कूलों में शिक्षकों को भी इन विषयों के अध्यापन के लिए अपनी तैयारी करनी चाहिए। उन्हें अपने विद्यार्थियों को संस्कृति और धर्म के महत्व को समझाने के लिए आसानी होगी ………..।आपको बता दे की,,,,इस निर्णय के बाद, बहुत से लोगों ने इससे जुड़े सवाल उठते है जैसे …..क्या यह निर्णय सभी धर्मों के लिए होगा? जवाब में आपको बता दे की की फिलहाल तो यह निर्णय केवल हिंदू धर्म से जुड़े विषयों से संबंधित है ………..वही दूसरी ओर लोगो का कहना है की ,,,क्या इस निर्णय से संविधान के मूल्यों का उल्लंघन नहीं होगा?आपको बता दे की ,,, इस निर्णय से संविधान के मूल्यों का उल्लंघन नहीं होगा। संविधान में धर्म के संबंध में निर्दिष्ट नियम हैं और संविधान धर्म के विषय में सभी धर्मों को समानता के साथ देखता है। यह निर्णय सिर्फ धर्म के विषय में ज्ञान बढ़ाने के लिए है ………. फिलहाल तो अभी ……..संबंधित धार्मिक विषयों को समझाने वाले शिक्षकों को उचित तरीके से तैयार किया जाएगा ताकि वे छात्रों को संबंधित धार्मिक विषयों के बारे में सही ज्ञान और समझ प्रदान कर सकें। ……और धार्मिक विषयों का अध्ययन आधारभूत संस्कृति, इतिहास और दार्शनिक विचारों को समझने के लिए महत्वपूर्ण होता है। इसलिए, इस निर्णय के अनुसार छात्रों को सही ढंग से धर्म के विषय में शिक्षा दी जाएगी।…………………………..
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