नेशनल हॉस्पिटल में डॉ. पूजा गंगवार की टीम ने महिला की जान बचाई एवं भविष्य की प्रजनन क्षमता भी बनी सुरक्षित
ब्यूरो चीफ पंडित कृष्णकांत मिश्रा- रीवा मध्य प्रदेश
नेशनल हॉस्पिटल में चिकित्सा क्षेत्र की एक बड़ी उपलब्धि दर्ज की गई, जहाँ बरोहा, मऊगंज निवासी 32 वर्षीय पिंकी पटेल को गंभीर पेट दर्द, चक्कर और कमजोरी की स्थिति में आपातकालीन रूप से भर्ती किया गया। जांच में पता चला कि उन्हें रप्चर्ड एक्टॉपिक प्रेग्नेंसी (फटी हुई अस्थानिक गर्भावस्था) हो चुकी थी, जिसमें भ्रूण गर्भाशय के बजाय अंडाशय (ओवरी) में विकसित हो रहा था और उसके फटने से आंतरिक रक्तस्राव शुरू हो गया था। यह स्थिति अत्यंत जीवन-घातक होती है और तत्काल शल्य चिकित्सा आवश्यक होती है।
इस गंभीर स्थिति में नेशनल हॉस्पिटल की स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. पूजा गंगवार (DGO, DNB) ने त्वरित निर्णय लेते हुए अत्याधुनिक लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के माध्यम से सफल ऑपरेशन किया। यह सर्जरी छोटे-छोटे चीरे के जरिए की गई, जिससे ट्यूब और ओवरी से रक्तस्राव को नियंत्रित करते हुए भ्रूण को सुरक्षित रूप से हटाया गया। रोगिनी की स्थिति तेजी से सुधरी और 48 घंटे के भीतर उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
लैप्रोस्कोपिक सर्जरी पारंपरिक ओपन सर्जरी की तुलना में कई मायनों में अधिक लाभदायक है। इसमें कम चीरा, कम रक्तस्राव, बहुत कम दर्द, जल्दी रिकवरी, कम संक्रमण का खतरा और सौंदर्य की दृष्टि से बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं। वहीं ओपन सर्जरी में बड़े चीरे के साथ अधिक दर्द, अधिक रक्तस्राव और लंबा अस्पताल में रहने का समय शामिल होता है।
नेशनल हॉस्पिटल के संचालक डॉ. अखिलेश पटेल ने जानकारी देते हुए बताया कि अब रीवा जैसे शहर में भी जटिल एक्टॉपिक प्रेग्नेंसी का इलाज आधुनिक लैप्रोस्कोपिक तकनीक से संभव है। इस प्रक्रिया में छोटे-छोटे छेदों के माध्यम से फटी हुई ट्यूब की मरम्मत की जाती है और खराब भ्रूण को बाहर निकाला जाता है। मरीज को बहुत कम दर्द होता है, रक्तस्राव न्यूनतम रहता है और रिकवरी बहुत जल्दी होती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस सर्जरी से महिला की प्रजनन क्षमता सुरक्षित रहती है और भविष्य में गर्भधारण में कोई भय नहीं होता।
डॉ. पूजा गंगवार ने आमजन को संदेश देते हुए कहा कि एक्टॉपिक प्रेग्नेंसी एक साइलेंट मेडिकल इमरजेंसी होती है। गर्भावस्था के प्रारंभिक हफ्तों में अगर पेट दर्द, रक्तस्राव, चक्कर या कमजोरी जैसे लक्षण दिखाई दें तो उसे हल्के में न लें और तुरंत किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें। समय पर जांच और सही इलाज से महिला का जीवन और उसका मातृत्व दोनों सुरक्षित रखा जा सकता है
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