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एयर इंडिया के क्रू शेड्यूलिंग प्रोटोकॉल में गंभीर चूक, डीजीसीए ने तीन अधिकारियों को हटाने का आदेश दिया

एयर इंडिया के क्रू शेड्यूलिंग प्रोटोकॉल में गंभीर चूक, डीजीसीए ने तीन अधिकारियों को हटाने का आदेश दिया

नई दिल्ली: विमान चालक दल की शेड्यूलिंग और संचालन में ‘गंभीर और बार-बार की गई चूक’ का हवाला देते हुए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने एयर इंडिया को निर्देश दिया है कि वह क्रू शेड्यूलिंग और रोस्टरिंग से जुड़ी भूमिकाओं से तीन अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से हटाए, जिन्हें नियामक द्वारा जिम्मेदार पाया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, डीजीसीए ने एयरलाइन को पिछले महीने बेंगलुरु से लंदन के लिए संचालित दो उड़ानों के संबंध में कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है, क्योंकि ये क्रू के लिए दस घंटे की तय उड़ान समय सीमा से अधिक थीं.

रॉयटर्स के अनुसार, शुक्रवार (20 जून) को जारी डीजीसीए के ये आदेश और नोटिस दोनों ही पिछले सप्ताह अहमदाबाद में लंदन जाने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट 171 के भयावह दुर्घटना से संबंधित नहीं हैं.

हालांकि, दुर्घटना के बाद एयरलाइन पर बढ़ती जांच के बीच ये आदेश सामने जरूर आए हैं.

एक आदेश में डीजीसीए ने कहा है कि एयरलाइन ने ‘लाइसेंसिंग, आराम और रीसेंसी आवश्यकताओं में चूक’ की परवाह किए बिना फ्लाइट क्रू के शेड्यूलिंग और संचालन के संबंध में ‘बार-बार और गंभीर उल्लंघन’ का स्वेच्छा से खुलासा किया था.

नियामक ने कहा कि ये खुलासे ‘चालक दल की समय-सारणी, अनुपालन निगरानी और आंतरिक जवाबदेही में प्रणालीगत विफलताओं की ओर इशारा करते हैं.’

इसमें कहा गया है कि विशेष रूप से चिंताजनक बात यह है कि इन खामियों के लिए जिम्मेदार प्रमुख अधिकारियों के खिलाफ ‘कठोर अनुशासनात्मक उपायों’ की कमी है.

इस संबंध में डीजीसीए ने एयर इंडिया के तीन अधिकारियों की पहचान की जो ‘सीधे तौर पर जिम्मेदार’ हैं. इसमें एक डिवीजनल वाइस प्रेसिडेंट और दो चालक दल के समय-सारणी अधिकारी शामिल हैं.

इन अधिकारियों को सभी चालक दल के समय-सारणी और रोस्टरिंग जिम्मेदारियों से हटाने का आदेश देने के बाद डीजीसीए ने कहा कि तीनों अधिकारियों के खिलाफ एक आंतरिक जांच शुरू की जानी चाहिए और इसके निष्कर्ष को महीने के अंत तक नियामक को रिपोर्ट किया जाना चाहिए.

डीजीसीए ने चेतावनी दी कि भविष्य में चालक दल के शेड्यूलिंग मानदंडों, लाइसेंसिंग आवश्यकताओं या उड़ान समय विनियमनों के उल्लंघन के परिणामस्वरूप कार्रवाई की जाएगी, जिसमें ‘दंड, लाइसेंस निलंबन या ऑपरेटर की अनुमति वापस लेना’ शामिल हो सकता है.

एयर इंडिया ने प्रेस को दिए गए बयानों में डीजीसीए के आदेश को स्वीकार किया है और कहा है कि इसे लागू कर दिया गया है.

मालूम हो कि नियामक ने 16 और 17 मई को बेंगलुरु से लंदन के लिए दो उड़ानों को दस घंटे की उड़ान समय सीमा से अधिक समय में संचालित करने के लिए एयरलाइन को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है. इसमें एयर इंडिया को यह बताने के लिए सात दिन का समय दिया कि उसके खिलाफ प्रवर्तन कार्रवाई क्यों न की जाए.

डीजीसीए के मुताबिक, ‘निर्धारित अवधि के भीतर अपना जवाब प्रस्तुत करने में विफल रहने पर मामले को रिकॉर्ड पर उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर एकपक्षीय रूप से तय किया जाएगा.’

 ने बताया कि पायलटों के आराम और ड्यूटी के घंटों से निपटने वाले डीजीसीए के मानदंड उड़ान और ड्यूटी के घंटों की सीमा निर्धारित करते हैं, और उपरोक्त दस घंटे की सीमा फ्लाइट क्रू से संबंधित है.

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस सप्ताह की शुरुआत में नियामक ने एयर इंडिया को तीन एयरबस विमानों को उड़ाने के लिए फटकार लगाई थी, जिनकी एस्केप स्लाइड्स की जांच की जानी बाकी थी.

डीजीसीए के हवाले से कहा गया कि एयर इंडिया द्वारा ‘समय पर अनुपालन प्रतिक्रिया प्रस्तुत करने में विफलता … कमजोर प्रक्रियात्मक नियंत्रण और निगरानी को और भी प्रमाणित करती है.’

इससे पहले द वायर ने रिपोर्ट किया था कि भारत के विमानन क्षेत्र द्वारा सेवा प्रदान किए जाने वाले यात्रियों की संख्या में वृद्धि के बावजूद, डीजीसीए ने हाल के वर्षों में फंड में कटौती और रिक्तियों का अनुभव किया है.

निगरानी संस्था के एक पूर्व अधिकारी ने बताया कि कर्मियों की कमी इसके कार्यों में बाधा डाल रही है, जिसमें अचानक मौके पर जाकर जांच करना भी शामिल है.

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