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बादल फटने से सब तहस-नहस… फिर भी अडिग खड़ी रही एक अंगुली से हिलने वाली ‘पांडव शिला’

बादल फटने से सब तहस-नहस… फिर भी अडिग खड़ी रही एक अंगुली से हिलने वाली ‘पांडव शिला’

हिमाचल प्रदेश में पिछले कुछ दिनों में आसमान से आफत बरसी. बादल फटे, नदियां उफनीं, पहाड़ दरके और गांव के गांव उजड़ गए. लेकिन इसी तबाही के बीच, हिमाचल के मंडी जिले के जंजैहली क्षेत्र के कुथा गांव में एक ‘अडिग गवाह’ अब भी अपनी जगह मौजूद है, ‘पांडव शिला’. श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र ये वही पौराणिक और चमत्‍कारिक शिला है, जिसे प्रेम से एक उंगली से भी हिलाया जा सकता है, लेकिन पूरी ताकत लगाने पर दोनों हाथों से भी ये नहीं हिलती. 

इन दिनों हिमाचल में भारी बारिश के बीच भारी तबाही हुई. सिराज घाटी में भी बादल फटे. गांव के कई घर मलबे में समा गए, सेब के बगीचे बह गए, सड़कें गायब हो गईं, लेकिन ये ‘पांडव शिला’ टस से मस नहीं हुई.

पौराणिक मान्यताएं, कई दंतकथाएं?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ये शिला महाभारतकालीन है. कहा जाता है कि अज्ञातवास के दौरान जब पांडव इस क्षेत्र में रुके थे, तो भीम के हाथ से गिरा सत्तू का पेड़ा ही यह विशालकाय पत्थर बन गया. 

हिमाचल प्रदेश वन विभाग ने इस शिला के संबंध में जो किंवदंती लिखी है, उसके अनुसार, पांडव यहां एक रात ठहरे थे और प्रस्थान से पूर्व अपनी कटोरी (चिलम) यहीं छोड़ गए थे। एक अन्य किस्से के अनुसार, यहां के निवासियों ने पांडवों से एक दानव के खतरे से मुक्ति की प्रार्थना की थी, जिसके बाद भीम ने उस दानव का वध इस विशाल चट्टान से किया था।

इस शिला से जुड़ी एक और दिलचस्प बात यह भी है कि निःसंतान महिलाएं यहां आकर कंकड़ फेंकती हैं. यदि कंकड़ शिला पर टिक जाए, तो इसे संतान प्राप्ति का आशीर्वाद माना जाता है.

तबाही में बचा रहा विश्वास

30 जून की रात जब सिराज घाटी में बादल फटा, तबाही ने हर चीज को अपने साथ बहाने की कोशिश की। लेकिन जब गांव वालों ने देखा कि पांडव शिला वैसे की वैसे खड़ी है, तो टूटी हुई उम्मीदों में एक बार फिर दीप जल उठा. ग्रामीणों का कहना है कि घर चला गया, सामान चला गया, लेकिन हमारी आस्था की शिला वैसी ही खड़ी है. शायद यही हमें फिर से उठने की शक्ति प्रदान कर रही है।

कभी जेसीबी भी न हिला सकी थी

सड़क निर्माण के दौरान एक बार इस शिला को हटाने की कोशिश की गई थी, लेकिन जेसीबी मशीन का अगला हिस्सा टूट गया और शिला नहीं हिली. तभी से लोगों की आस्था और भी मजबूत हो गई. ये शिला सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय और आध्यात्मिक शक्ति की मिसाल बन गई है.  

पंचवक्‍त्र मंदिर में भी दिखा था चमत्‍कार 

हाल ही में मंडी में जब आसमान से संकट आया और ब्यास नदी ने तीव्रता से उफान मारा, तब पंचवक्‍त्र मंदिर में भी ऐसा ही अद्भुत चमत्‍कार देखने को मिला था। ब्यास की भयंकर धारा के मध्य मंडी का प्राचीन पंचवक्त्र महादेव मंदिर, चट्टान की तरह खड़ा रहा. नदी की धारा मंदिर के चारों ओर घूमकर चली गई, लेकिन अंदर नहीं जा सकी.

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