फतेहपुर के नसेनिया कंपोजिट विद्यालय में सफाई व्यवस्था की पोल खुली, प्रधानाध्यापक और छात्र खुद झाड़ू करने को मजबूर
फतेहपुर, अमौली।
फतेहपुर जनपद के विकासखंड अमौली के नसेनिया गांव स्थित कंपोजिट विद्यालय में स्वच्छता व्यवस्था की पोल खुलकर सामने आई है। सरकारी सफाईकर्मी की मनमानी और गैर-जिम्मेदारी के चलते विद्यालय में प्रधानाध्यापक और छोटे-छोटे छात्र खुद झाड़ू लगाकर सफाई करने को मजबूर हैं।
स्वच्छ भारत मिशन पर बड़ा प्रश्नचिन्ह
सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांव-गांव सफाईकर्मी नियुक्त किए गए हैं, लेकिन नसेनिया के सफाईकर्मी की गैर-जिम्मेदारी से यह अभियान केवल कागजों तक सीमित रह गया है।
विद्यालय परिसर में बड़ी-बड़ी घास, कूड़े के ढेर और जर्जर डस्टबिन साफ-सुथरी स्थिति का नामोनिशान तक नहीं छोड़ रहे। डस्टबिन इतना जर्जर हो चुका है कि ऊपर से कचरा डालने पर नीचे गिर जाता है।
प्रधानाध्यापक की शिकायतें बेअसर
प्रधानाध्यापक अशोक ने बताया कि जब भी सफाईकर्मी से काम की मांग की जाती है, वह केवल गुरुवार को ड्यूटी बताकर महीनों तक नहीं आता। कई बार ग्राम प्रधान और खंड विकास अधिकारी को शिकायत की गई, लेकिन समाधान आज तक नहीं हुआ।
मजबूरी में प्रधानाध्यापक ने निजी स्तर पर सफाईकर्मी नियुक्त किया था, जिसे केवल 1000 रुपये मासिक वेतन दिया जाता था, लेकिन अब वह भी काम करने से मना कर चुका है।
बारिश और स्वास्थ्य की चिंता
बारिश के मौसम में उगी घास के कारण कीड़े, सांप और बिच्छू का खतरा बना रहता है। विद्यालय परिसर में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र के आसपास भी घास बड़ी-बड़ी उगी है, जिससे मच्छर और जहरीले कीड़े पनपते हैं। बच्चों और शिक्षकों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए यह गंभीर खतरा है।
जिम्मेदारों की प्रतिक्रिया
ग्राम प्रधानपति का कहना है कि सफाईकर्मियों की टीम रोस्टर के अनुसार गांवों में तैनात की जाती है। खंड विकास अधिकारी ने आश्वस्त किया कि जल्द ही किसी सफाईकर्मी को भेजकर विद्यालय की सफाई करवा दी जाएगी।
निष्कर्ष
नसेनिया कंपोजिट विद्यालय की यह स्थिति दर्शाती है कि जिम्मेदारों की लापरवाही और विभागीय उदासीनता के चलते स्वच्छ भारत अभियान केवल कागजों में रह गया है। वास्तविकता में छोटे बच्चे और शिक्षक खुद सफाई करने के लिए मजबूर हैं, जो कि सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिहाज से चिंतनीय है।
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