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जर्जर कोठरी में विधवा महिला अपने बच्चों के साथ रहने को मजबूर।

जर्जर कोठरी में विधवा महिला अपने बच्चों के साथ रहने को मजबूर।

विशाल विचार
सुरेश पटेल जाफरगंज फतेहपुर

जनपद में जहां एक तरफ बारिश के तांडव से कच्चे मकान जमींदोज रहे हैं। और उनमें दबाकर आए दिन कोई ना कोई घायल हो रहा है या फिर दबाने से मृत्यु ही हो जा रही है। लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के उदासीनता के चलते जो पात्र हैं उन्हें अभी तक आवास की सुविधा प्राप्त न होना भी अहम वजह बताई जा रही है। ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया की भूमिहीन दो परिवारों का मामला सामने आया है।भूमिहीन दो परिवार की विधवा महिलाओं को अब तक सर छिपाने को सरकारी आवास नहीं मिल पाया है।हर गरीब को पक्की छत देने का प्रधानमंत्री का सपना ।प्रधानमंत्री के सपनो को साकार करने में रोड़ा बन रहे जिम्मेदार समय समय पर राज्य व केंद्र सरकार द्वारा गरीबों के हितों के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं का संचालन किया जाता है।लेकिन गरीब परिवारों को उनका हक उन तक नहीं पहुंच पाता है।तो इसका जिम्मेदार कौन है।जबकि बीच बीच सर्वे के माध्यम से गरीब परिवारों को चिन्हित कराया जाता है ताकि उन तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंच सके।
विकास खंड खजुहा की ग्राम पंचायत गढ़ी से दो विधवा महिलाओं को अब तक आवास न मिलने का मामला सामने आया है।दोनों परिवार की महिलाएं विधवा हैं।नफीसा पत्नी स्व बशीर दो पुत्रियों व एक बेटे के साथ जर्जर कोठरी में रह रही है ।कालोनी का सर्वे भी कई बार कुछ अधिकारी कर ले गए हैं लेकिन अभी तक सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पाया है।अपनी दो पुत्रियों व एक बेटे के साथ क्षतिग्रस्त कोठरी के सहारे टीन के पतरे डालकर किसी तरह मेहनत मजदूरी करके अपने बच्चों का व अपना पेट पाल रही है।जर्जर कोठरी क्षतिग्रस्त है जिसके चलते फिलहाल हुई बरसात का पानी भी कोठरी के अंदर भरा हुआ पाया गया ।वही पड़ोस की रहने वाली इमाम बख्श की विधवा पत्नी सहरूननिशा के हालात भी कुछ कम नहीं हैं बल्ली के सहारे टिकी हुई छत इस परिवार के लिए खतरे से खाली नहीं है।गृहस्वामिनी ने बताया कि बैठने के लिए जगह नहीं थी।पीछे के बने हुए दो दर लगातार हुई बारिश से छत गिर रही थी।तो मुहल्ले व गांव के कुछ लोगों ने सहयोग कर चंदा करके टीन के पतरे खरीद कर डलवा दिया है।दोनों परिवार बड़ी ही दयनीय स्थिति से जर्जर घरों में गुजर बशर करने को मजबूर हैं।समय समय पर गांव में आवासीय सर्वे भी हुए हैं।लेकिन वो कैसा सर्वे था कि भूमिहीन गरीब असहाय लोग यदि पात्रता सूची के बाहर हैं तो वो कौन से पात्र लोग हैं जो इन दोनों परिवारों से भी बदतर जीवन यापन कर रहे थे।साफ दिख रहा है कि जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन किस मानक के आधार पर करते रहे।जिम्मेदारों की लापरवाहियों का खामियाजा जनपद का एक परिवार भुगत रहा है।एक साथ एक ही परिवार से तीन तीन लोगों की जान चली गई। गरीब का पूरा परिवार तिनके की तरह बिखर गया।क्या यहां भी ओहदेदार व जिम्मेदार ऐसी ही किसी अनहोनी व अप्रिय घटना का इंतजार कर रहे हैं।

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