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राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान बना महज औपचारिकता कई-जगह लगे हैं झुके एवं फटे तिरंगे

राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान बना महज औपचारिकता कई-जगह लगे हैं झुके एवं फटे तिरंगे

विशाल विचार
शेखर सिद्दीकी की रिपोर्ट

जो तिरंगा हमारी आन बान शान का प्रतीक है। आज कई जगहों पर देखने को मिला कि उसी तिरंगे की हमने क्या पहचान बना रखी है । अभी बीते दिनों ही हमने 15 अगस्त को देश किया आजादी जश्न मनाते हुए हर घर में तिरंगा फहराया गया। अपनी दुकानों घरों और प्रतिष्ठानों पर तिरंगा फहराकर उसे सलामी पेश की गई। लेकिन अफसोस की बात यह है कि तिरंगा फहराने के बाद हम तिरंगे के सम्मान को भूल गए। बहुत सी जगह पर देखा गया है कि हमारी आन बान और शान का प्रतीक तिरंगा या जमीन में पड़ा है कहीं पर कबाड़ के देर में तो कहीं तिरंगा झुका हुआ लगा है कहीं फटा हुआ तो कहीं रंग ही गायब है। यह सारी बातें इसलिए हो रही है कि हमने तिरंगा तो फहरा दिया लेकिन उसके सम्मान में जिन बातों का हमें ध्यान रखना है वह बातें ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्र के रहने वाले लोगों को पता ही नहीं है । कि हमें तिरंगे का सम्मान कैसे करना है। हर घर तिरंगा फहरा कर अपनी खुशी मनाना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। लेकिन इससे पहले हमें उस तिरंगे के सम्मान को भी बरकरार रखना है । भारतीय झंडा संहिता 2022 के नियमों के हिसाब से झंडे के रखरखाव एवं फहराने का तरीका जिन लोगों को नहीं पता उन्हें सिखाया या बताया जाए । तिरंगा फहराने से पहले हम लोगों को एक जन जागरण अभियान चला कर तिरंगे के सम्मान के प्रति लोगों को जागरूक करने की सबसे पहली जरूरत है। और ग्रामीण लोगों को जागरूक करने के लिए बुद्धिजीवी वर्ग को एवं हमारे शिक्षक ग्राम प्रधान एवं पत्रकार, फौजी, सिपाही, एवं हर उस नौकरी पेशा या हर जिम्मेदार नागरिक का नैतिक कर्तव्य बनता है ।

कि अगर कहीं झंडे को झुका हुआ देखें या फटा हुआ देखें या मिस प्रिंट देखें तो रुक करके पहले उसे सम्मान के साथ उतारकर यथा उचित तरीके से सम्मान के साथ लपेटकर जो हमारे भारतीय झंडा संविधान 2022 के प्रविधान के हिसाब से जो बताया गया उसे हिसाब से रखें । लेकिन ग्रामीण अंचलों में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों एवं ग्राम प्रधानों तथा संबंधित विभागों द्वारा तिरंगे का वितरण तो कर दिया जाता है । लेकिन उसके फहराने का तरीका रखरखाव और उसके सम्मान में पेश आने वाली अन्य बातें लोगों को नहीं बताई जाती जिससे अनजाने में लोग अपनी आन बान और शान के प्रतीक इस तिरंगे का अनादर कर बैठते हैं । तिरंगे के सम्मान उसके अधिकार और कर्तव्य के बारे में जानकारी देना हर जिम्मेदार ग्रामीण और शहरी बुद्धिजीवी वर्ग का फर्ज है कि वह लोगों को अपने तिरंगे के प्रति जागरूक करें। और जहां भी इस तरह के झुके ,फटे,एवं पुराने तिरंगे की जिस से तिरंगे की गरिमा को ठेस पहुंचती हो ऐसे तिरंगे देखें तो उन्हें ससम्मान उतरवाये यही हमारी सच्ची तिरंगे की सलामी होगी ।

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